क्या आपने मोबाइल फोन की EMI पूरी कर दी है, लेकिन आपका फोन अब भी फाइनेंस कंपनी द्वारा लॉक किया जा रहा है? जानें कि यह कानूनी है या नहीं और अपने अधिकारों की रक्षा कैसे करें।
क्या आपने अपने मोबाइल फोन की EMI पूरी कर दी है, लेकिन अब भी आपकी स्क्रीन पर "This device belongs to & financed by your device financier" का मैसेज दिख रहा है? या फिर आपको डर है कि फाइनेंस कंपनी बिना पूर्व सूचना के आपका फोन लॉक कर सकती है, डेटा डिलीट कर सकती है, या इसे पूरी तरह ब्लॉक कर सकती है? अगर हां,
तो यह लेख आपके कानूनी अधिकारों को समझने और फाइनेंस कंपनी के इस अनुचित व्यवहार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एक गाइड के रूप में काम करेगा। यहां हम विस्तार से बताएंगे कि कौन-कौन से कानून इस मामले में लागू होते हैं, क्या उपभोक्ता अदालत (Consumer Court) में केस किया जा सकता है, और आप अपनी डिवाइस को अनलॉक (Unlock device) करने के लिए क्या-क्या कदम उठा सकते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि यदि फाइनेंस कंपनी आपके फोन को लॉक करती है, तो आपको क्या करना चाहिए और आप अपने अधिकारों की रक्षा कैसे कर सकते हैं!
मोबाइल फाइनेंस कंपनियां ग्राहकों को EMI पर फोन खरीदने की सुविधा देती हैं। इसके लिए एक लोन एग्रीमेंट (Loan Agreement) पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, जिसमें EMI भुगतान पूरा होने तक कुछ शर्तें लागू हो सकती हैं। यह वैध है अगर:
- ग्राहक ने खरीदते समय यह शर्त स्वीकार की हो कि EMI पूरी होने तक फोन पर फाइनेंस कंपनी का नियंत्रण रहेगा।
- कंपनी
केवल EMI भुगतान लंबित रहने तक ही डिवाइस पर
यह संदेश दिखाए या सीमित नियंत्रण रखे।
यह अवैध है अगर: - ग्राहक ने सभी EMI चुका दी हैं, फिर भी डिवाइस पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
- बिना किसी नोटिस के फाइनेंस कंपनी ने फोन को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया।
- ग्राहक को फोन पूरी तरह से उपयोग करने से रोका गया।
इस प्रकार तीन प्रकार के कानूनों का उल्लंघन होता है-
(A) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत फाइनेंस कंपनी द्वारा ग्राहक का फोन लॉक करना, जब उसने पूरा भुगतान कर दिया है, "अनुचित व्यापार व्यवहार" (Unfair Trade Practice) के तहत आता है।
- धारा 2(47) के अनुसार, किसी वस्तु या सेवा को गलत तरीके से प्रतिबंधित करना उपभोक्ता अधिकारों का हनन है।
- धारा 83 के तहत, अगर कोई सेवा प्रदाता उपभोक्ता को अनुचित रूप से नुकसान पहुंचाता है, तो वह दंडित किया जा सकता है।
(B) भारतीय संविदा अधिनियम, 1872- मोबाइल फाइनेंसिंग एक कॉन्ट्रैक्ट (Contract) होता है। यदि उपभोक्ता ने पूरी भुगतान राशि चुका दी है, फिर भी कंपनी फोन को लॉक कर रही है, तो यह "अनुबंध का उल्लंघन" (Breach of Contract) माना जाएगा।
(C) सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000- अगर फाइनेंस कंपनी उपभोक्ता के फोन का डेटा डिलीट कर देती है या अनाधिकृत रूप से डिवाइस को एक्सेस करती है, तो यह आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 43 और 66 के तहत अपराध हो सकता है।
- धारा 43: यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य के कंप्यूटर, मोबाइल, या डिजिटल डिवाइस को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे मुआवजा देना पड़ सकता है।
- धारा 66: यदि किसी व्यक्ति के डेटा को बिना अनुमति के हटाया या एक्सेस किया गया, तो 3 साल की सजा और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
अब आपको क्या करना चाहिए?
(A) कानूनी नोटिस भेजें- अगर कंपनी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करती, तो एडवोकेट के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजें।
(B) उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज करें- यदि फाइनेंस कंपनी फोन अनलॉक करने से मना करती है, तो ग्राहक जिला उपभोक्ता फोरम (Consumer Dispute Redressal Commission) में शिकायत दर्ज कर सकता है। मांग कर सकते हैं: -फोन अनलॉक करवाने का आदेश, मानसिक कष्ट के लिए ₹50,000-₹5,00,000 तक हर्जाना।, अनावश्यक सेवा प्रतिबंध हटाने का निर्देश।
अगर किसी ग्राहक ने मोबाइल फोन की पूरी राशि चुका दी है और फिर भी फाइनेंस कंपनी फोन को लॉक कर रही है, तो यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, भारतीय संविदा अधिनियम और आईटी अधिनियम का उल्लंघन हो सकता है।
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