यदि कोई आपको सोशल मीडिया पर या फोन करके ब्लैकमेल करता है तो आपको क्या करना चाहिए?

यदि कोई आपको सोशल मीडिया पर या फोन करके ब्लैकमेल करता है तो आपको क्या करना चाहिए?


आज के समय में हम आप सब फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया पर उपलब्ध रहते हैं,और ख़ुशी के पल दूसरों के साथ शेयर करने के लिए हम अपने फ़ोटो सोशल मिडिया पर बिना सोचे अपलोड भी करते हैं लेकिन उनका कई बार कुछ शातिर माइंड के लोग उनका दुरूपयोग कर हमें ब्लैकमेल करते हैं।  और बदले में उनकी मानसिकता हमसे जबरदस्ती किसी गलत कार्य को कराने की या फिर हमसे पैसे ऐंठने की होती है।

आज के समय में लोगों के लिए सोशल मीडिया के बिना एक दिन रह पाना असंभव  हो गया है। जहां समाज के लिए सोशल मीडिया के फायदे बहुत हैं, वहीं इसके नुकसान भी हैं। इसके दूसरे साइड से पता चलता है कि इन प्लेटफार्मों का इस्तेमाल असामाजिक तत्वों द्वारा अपने फायदे के लिए दूसरों को ब्लैकमेल करने के लिए किया जा रहा है। व्हाट्सएप और फेसबुक के जरिए निर्दोष लोगों को ब्लैकमेल किए जाने की कई घटनाएं हुई हैं।

कई बार अक्सर देखने और सुनने में आता है कि प्यार में लोग कई बार ऐसी चीजें कर देते हैं जिसकी वजह से उन्हें बाद में पछताना पड़ता है खासकर लड़कियों को! क्योंकि लड़के प्यार का नाम लेकर कई बार लड़की को अपने जाल में फांस लेते हैं और फिर उसका इस्तेमाल करके उसे ही ब्लैकमेल करने लगते हैं।ब्लैकमेलिंग तब होती है जब कोई आपको धमकाता है और वित्तीय या अन्य प्रकार के लाभों की मांग करता है। 

कानून के अनुसार ब्लैकमेल करना एक गंभीर अपराध है और ब्लैकमेल करने वाले व्यक्ति पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अगर आपको कोई ब्लैकमेल कर रहा है, तो आपको हमेशा कानून से मदद लेनी चाहिए। चुपचाप रहकर सहने से आपके स्वास्थ्य और मन पर अवांछित प्रभाव पड़ेगा। और ऐसे शातिर अपराधियों को बढ़ावा मिलेगा। पुलिस और कानून आप के सहयोग के लिए है बशर्ते आप को हिम्मत जुटानी होगी ऐसे लोगों के खिलाफ जो आपको शिकायत करने से रोकते हैं और चुपचाप रहकर सहने को कहते हैं।

लोग बिना कुछ सोचे दूसरों को ब्लैकमेल तो कर देते हैं पर वो ये नहीं जानते कि  ब्लैकमेल करने की सजा क्या होती है ?

अगर यहाँ मामला प्यार का हो तब क्या करें---

  • एडवोकेट से सलाह ले सकते हैं – यदि आप साइबर ब्लैकमेल के शिकार हैं, ब्लैकमेलिंग के ऐसे मैटर्स को किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा करना अक्सर मुश्किल होता है, जब तक कि आपको उन पर पूरा भरोसा नहीं होता। तो आपको इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को देनी चाहिए। हालांकि, पुलिस के पास जाने से पहले, इस सिचुएशन में आप एक लॉयर जैसे कानूनी पेशेवरों की मदद ले सकते हैं, और ब्लैकमेलर को कैसे ट्रैक करें, इस बारे में अच्छा मार्गदर्शन प्राप्त करें। यह आपको एक मजबूत मामला बनाने में मदद कर सकता है। जो न केवल आपकी प्राइवेसी की रक्षा करेंगे बल्कि साथ में आपको उचित न्याय दिलाने में भी मदद करेंगे। आप अधिकारियों को समस्या की रिपोर्ट करके ब्लैकमेलर को दूसरों को ब्लैकमेल करने से रोक सकते हैं।
  • परिवार से भी मदद ले सकते हैं :- अगर लड़के के पास आप की अश्लील तस्वीरें हैं तो आप बहुत बड़ी मुसीबत में फंस चुकी हैं ऐसे में अगर आप खुद को लड़के से बचाना चाहती हैं तो इस बारे में अपने परिवार को बता दीजिए क्योंकि वही हैं जो इस वक्त आपकी मदद करेंगे। और अगर मामला ज्यादा संगीन हो तो आप पुलिस को भी इसमें शामिल कर सकती हैं।
  • एनजीओ से भी मदद ले सकते हैं- आप चाहे तो अपना मामला सुलझाने के लिए एनजीओ से भी मदद ले सकते हैं क्योंकि बहुत सारे ऐसे एनजीओ होते हैं जो लड़कियों के इस तरह की समस्या को समझते हैं और उनकी मदद करते हैं क्योंकि ज्यादातर मामले में लड़की की गलती नहीं होती है वो बस प्यार से नाम पर या फिर लड़के के बहकाने के वजह से अपनी सभी हर हदो से गुजर जाती हैं।

  • नोट :- यदि आप किसी भी प्रकार के साइबर अपराध के शिकार हुए हैं, तो अपराधी की छवियों, ईमेल या अन्य सामग्री को न हटाएं क्योंकि ऐसा करने से आभासी दुनिया में सबूतों को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। तस्वीरें एकत्र करने या सबूतों को प्रिंट करने पर विचार करें और उस मंच पर घटना की रिपोर्ट करें जहां यह हुई, जैसे कि सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट या ब्लॉग, जहां उत्पीड़न या अपराध हुआ है।

    ब्लैकमेलर की धमकियों  पर डरें  नहीं बल्कि आपको धमकी देने के लिए ब्लैकमेलर द्वारा की गई मांगों को पूरा ना करें। ऐसा करने से आप मुश्किल में पड़ जाएंगे और ब्लैकमेलर अपने मकसद को अंजाम देगा।

  • ब्लैकमेलिंग से संबंधित भारतीय कानून 
  • दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 108(1)(i)(a) के तहत:- पीड़िता को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 108(1)(i)(a) के तहत अधिकार है कि वह अपने क्षेत्र के मजिस्ट्रेट से संपर्क करे और उसे उस व्यक्ति के बारे में सूचित करे जिस पर उसे संदेह है कि वह कोई भी अश्लील सामग्री डिस्ट्रीब्यूट कर सकता है। मजिस्ट्रेट के पास ऐसे व्यक्तियों को हिरासत में लेने का अधिकार होता है और उन्हें सामग्री के प्रसार को प्रतिबंधित करने वाले एक बांड पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होती है। यह आरोपी के लिए एक निवारक (डिटरेंट) के रूप में काम कर सकता है। यह एक त्वरित निवारण अनुभाग है क्योंकि पीड़ित आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत प्रदान किए बिना मजिस्ट्रेट के पास शिकायत दर्ज कर सकता है। 

  • भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292:- कोई भी व्यक्ति जो ऐप्स और अन्य सोशल मीडिया सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किसी की अश्लील और आपत्तिजनक छवियों को प्रकाशित करने धमकी देता है, वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292 के तहत इस धारा के अनुसार  किसी अश्लील पुस्तक पुस्तिका, कागज, रेखाचित्र, रंगचित्र, रुपण या आकृति या किसी भी अन्य प्रकार की  अश्लील वस्तु को, चाहे वह कुछ भी हो किसी प्रकार से  बेचेगा या फिर उसको भाडे पर देगा या वितरित करेगा या फिर लोक प्रदर्शित करेगा या उसको किसी भी प्रकार प्रचालित करेगा या उसे विक्रय या भाडे, वितरण लोक प्रदर्शन या परिचालन के प्रयोजनों के लिए रचेगा। या फिर उसको  उत्पादित करेगा या अपने कब्जे में रखेगा। किसी भी ऐसे कार्य को जो इस धारा के अधीन अपराध माना जाता है उसको करने की प्रस्थापना करेगा या करने का प्रयत्न करेगा। जो की  प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से जिसको की जो दो हजार रुपए तक को हो सकेगा तथा द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि की दशा में दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने  जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा उससे  दण्डित किया जाएगा |

  • आईपीसी की धारा 354सी:-- यदि किसी महिला की तस्वीर अश्लील तरीके से ली जाती है और उसकी जानकारी के बिना वितरित की जाती है, तो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की अन्य संबंधित धाराओं की मदद से आईपीसी की धारा 354सी के तहत वॉयरिज्म का मामला भी बनाया जा सकता है।

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 503:-- भारतीय कानून में ऐसे कई प्रावधान हैं जिनके तहत वीडियो दिखाकर ब्लैकमेल करना दंडनीय अपराध है। ब्लैकमेलिंग आपराधिक धमकी का एक रूप है। अगर कोई आपके सम्मान या संपत्ति को ठेस पहुंचाने के लिए वीडियो बनाकर आपको ब्लैकमेल कर रहा है तो आप भारतीय दंड संहिता की धारा 503 के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

  • भारतीय दंड संहिता की धारा 384:-- IPC की धारा 384 का भी इस्तेमाल किया जा सकता है भारतीय दंड संहिता की धारा 384 के अनुसार, जो कोई ज़बरदस्ती वसूली करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा। और अपराध गैर-जमानती है और किसी भी मजिस्ट्रेट में विचारणीय है। जिसके तहत पीड़ित केस फाइल कर सकता है।

  • आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 66E:-- गोपनीयता का उल्लंघन- किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी तस्वीरें खींचने या प्रसारित करने पर रोक लगाता है।

  • आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67:-- अश्लील इलेक्ट्रॉनिक सामग्री प्रसारित करना- किसी को बदनाम करने के लिए चित्र या वीडियो साझा करना दंडनीय है। 

  • आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67A:-- स्पष्ट यौन कृत्यों (सेक्सुअली एक्सप्लीकिट एक्ट्स) वाली इलेक्ट्रॉनिक सामग्री- वीडियो क्लिप रिकॉर्ड करने और साझा करने के लिए छिपे हुए कैमरों का उपयोग करना दंडनीय अपराध है।

  • आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 67B:-- बाल अश्लीलता- यदि पीड़ित नाबालिग है, 18 वर्ष से कम उम्र का है।
ऐसे मामले में हमारी मदद लेने के लिए हमसे संपर्क करें HELP ME!

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