आपकी उम्र कोई भी हो, लेकिन सात फेरों के बाद जरूर करायें विवाह पंजीकरण, होंगे फायदे

मैरिज रजिस्ट्रेशन (विवाह प्रमाणपत्र)

विवाह प्रमाणपत्र एक कानूनी दस्तावेज है जिसके तहत 2 लोगों को विवाहित माना जाता है। हमारे भारत देश में शादी के बाद दो लोगों को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत पंजीकरण कराना होता है। पंजीकरण के बाद एक कानूनी दस्तावेज दिया जाता है जिसे विवाह प्रमाणपत्र कहा जाता है। वैसे तो कोर्ट मैरिज में शादी का प्रमाण पत्र मिल जाता है, लेकिन नॉर्मल मैरिज के बाद कोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। मैरिज रजिस्ट्रेशन एक ऑफिशियल सर्टिफ़िकेट है, जो यह साबित करता है कि दो लोग शादी-शुदा हैं। 2006 से सुप्रीम कोर्ट ने शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। ताकि महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सके।


मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की आवश्यकता और उसके फायदे

  1. अपने राज्य में शासकीय योजनाओं का लाभ लेने वाले जोड़ों के लिए भी शादी का रजिस्ट्रेशन बेहद जरूरी है।
  2. जब कोई दंपति ट्रैवल वीजा या किसी देश मे स्थायी निवास के लिए आवेदन करता है तो मैरिज सर्टिफिकेट काफी मददगार साबित होता है ।
  3. जीवन बीमा पॉलिसी के फायदे लेने के लिए भी मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है[यदि पति या पत्नी मे से किसी की मृत्यु हो गई हो] तब नॉमिनी अपने आवेदन की पुष्टि मे कानूनी दस्तावेज पेश नहीं करे,तब कई बार अक्सर देखने में आया है कि कोई बीमा कंपनी अर्जी को गंभीरता से नहीं लेती है। बीमा की धनराशि नहीं मिल पाती है
  4. तलाक लेना हो जाता है आसान - तलाक के लिए अपील करने के लिए भी आपको विवाह पंजीकरण का सर्टिफिकेट दिखाना होगा। सिंगल मदर या तलाकशुदा के लिए नौकरी में आरक्षण का लाभ लेने के लिए तलाक का दस्तावेज दिखाना होता है। यहां तक कि गुजाराभत्ता के लिए भी आपको मैरिज सर्टिफिकेट दिखाना होगा।
  5. धोखाधड़ी होने पर दोषी को पकड़ने में मददगार - अगर कोई किसी को शादी के बाद धोखा देकर भाग जाता है तो ऐसे में महिला इस प्रमाण पत्र की मदद से पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकती हैं। आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों की मदद से पुलिस दोषी का पता आसानी से लगा लेती है।
  6. पति पत्नी के बीच किसी तरह का विवाद ( दहेज, तलाक गुजाराभत्ता लेने आदि ) होने की स्थिति मे विवाह प्रमाणपत्र काफी मददगार साबित होता है ।
  7. पासपोर्ट बनाने के लिए
  8. बाल विवाह पर लगाम लगाने मे मदद मिलती है क्योकि अगर आपकी उम्र शादी की नहीं है तो विवाह का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा ।
  9. बैंक खाता खोलने के लिए
  10. भारत मे स्थित विदेशी दूतावासो या विदेश मे किसी को पत्नी साबित  करने के लिए विवाह प्रमाणपत्र देना अनिवार्य है ।
  11. महिलाओ के लिए यह दस्तावेज़ कोर्ट में अपना अधिकार लेने में बहुत सहायक होता है
  12. विधि विशेषज्ञों की राय में भी मेरिज रजिस्ट्रेशन बेहद जरूरी है। खासकर कानूनी पचड़ों में ऐसे दस्तावेजों की बेहद अहमियत रहती है।
  13. विवाह प्रमाणपत्र होने से महिलाओ मे विश्वाश और सामाजिक सुरक्षा का एहसास जगता है ।
  14. विवाह शगुन योजना व अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना आदि का लाभ उठाने के लिए ही पंजीकरण जरूरी है।
  15. वीजा अप्लाई करने के लिए।
  16. शादीसुदा हो या तलाकसुदा दोनों सूरत मे विवाह प्रमाणपत्र काम आता है । महिलाओ के लिए यह दस्तावेज़ ज्यादा उपयोगी है क्योकि तलाक के बाद महिलाओ को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत पुरुषो की तुलना मे ज्यादा होती है ।

फायदों को देखते हुए कुछ जोड़े तो शादी के 50 साल होने के बाद अब रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं, तो कुछ जोड़े शादी के मंडप से सीधा रजिस्टर्ड करवाने पहुंच जाते हैं। नवंबर 2008 से अभी तक शादियों को रजिस्टर्ड करवाने में 75 साल के बुजुर्ग से लेकर 21 साल के युवा भी पीछे नहीं है। शादीशुदा जोड़ों ने अपनी शादी रजिस्टर्ड करवाने में दिलचस्पी दिखाई है। मजेदार बात है कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया इतनी पेचीदा भी नहीं है और हर उम्र का व्यक्ति अपनी शादी रजिस्टर्ड करवा सकता है।

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