क्या करें जब आपका TDS किसी ने काटा है तो

क्या होता है TDS ? यह कब और क्यों काटा जाता है ?
TDS कैसे रिफंड मिलेगा आपको ?

अगर TDS  काटने के बाद जमा नहीं किया जाता तो जुर्माना क्या है ?

TDS (टेक्स डिडकटेड एट सोर्स) जब एक शख्स किसी को पेमेंट करता है और उसमें कुछ फीसदी हिस्सा टैक्स के तौर पर काट लेता है उसे टीडीएस यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स कहा जाता है. ये टैक्स भुगतान करने वाले शख्स द्वारा सरकार के खाते में भेज दिया जाता है। जहां से इनकम पैदा हुई वहीं टैक्स का कट जाना टीडीएस होता है मतलब कि आपके द्वारा कमाई गयी कई तरह की आय के स्रोत पर लगाया जा सकने वाला टैक्स TDS होता है। यह टैक्स की चोरी को रोकने में मदद करता है और टैक्स को वित्तीय वर्ष के अंत में इकट्ठा टैक्स भुगतान करने के बोझ से भी राहत दिलाता है। इसलिए TDS के द्वारा सरकार एक तरफ साल भर राजस्व की लगातार आमदनी को सुनिश्चित करती है और टैक्स देने वाले के लिए वर्ष के अंत में वित्तीय तनाव को भी कम करती है। भारत सरकार ने कुछ खास तरह की आमदनियों (incomes) को चिह्नित किया है, जिनको देने के पहले ही टैक्स (TDS) काटकर सरकार के पास जमा कर दिया जाना चाहिए। हर तरह की आमदनी के लिए टैक्स की दर अलग-अलग होती है।

टीडीएस को एक उदाहरण के रुप में समझिए
उदाहरण के लिए: एक प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी अपने फैक्ट्री या ऑफिस या संपत्ति के मालिक को प्रति माह 60,000 रुपये के किराए का भुगतान करती है। तो इसमें टीडीएस 10% घटाया जाना आवश्यक है। एक प्राइवेट लिमिटेड को 6000 रुपये का टीडीएस काटना होगा और संपत्ति के मालिक को 52,000 रुपये का भुगतान करना होगा। इस प्रकार आय के प्राप्तकर्ता यानी उपरोक्त मामले में संपत्ति के मालिक को स्रोत पर कर की कटौती के बाद 52,000 रुपये की शुद्ध राशि प्राप्त होती है। वह अपनी आय में सकल राशि यानी 60,000 रुपये जोड़ देगा और पहले से ही काटे गए राशि का लाभ ले सकता है।

TDS कटौती का प्रावधान
आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, TDS में कटौती से संबंधित पॉलिसी और नियमों का प्रबंधन CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) द्वारा किया जाता है। TDS पर काटे गए टैक्स भारतीय राजस्व सेवा विभाग (IRS) का हिस्सा है। TDS को काटने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को डिडक्टर( टैक्स काटने वाला) कहा जाता है और जिस व्यक्ति के खाते से कटौती होती है, उसे डिडक्टी(टैक्स देने वाला) कहा जाता है।

TDS नियम के अनुसार, वेतन का भुगतान करते समय (यदि आय पहले से तय सीमा से अधिक है) टैक्स काटने वाले को TDS काटना चाहिए और टैक्स देने वाले व्यक्ति के ओर से सरकार को ये टैक्स देना चाहिए। तय समय सीमा में TDS का भुगतान करना, टैक्स काटने वाले का कर्तव्य है। रिटर्न फाइल करने के बाद टैक्स काटने वाले को सरकार द्वारा TDS कटौती का प्रमाण पत्र जारी करवाना होता है।

टीडीएस कटौती के प्रकार

  • अचल संपत्ति का ट्रांसफर
  • अचल संपत्ति प्राप्त करने पर मुआवजा
  • कंपनी के डायरेक्टर को दिया जाने वाले भुगतान आदि ।
  • कमीशन भुगतान
  • किराए का भुगतान
  • खेलों में जीती गई रकम जैसे- पज्जल, कार्ड, लॉटरी, आदि।
  • ठेकेदार के भुगतान
  • डिविडेन्ट पर.
  • बीमा बेचने से कमीशन पर
  • बैंक ब्याज़
  • ब्रोकरेज या कमीशन
  • वेतन – कंपंनी द्वारा कर्मचारी को भुगतान.
  • शेयर के ब्याज़ पर.
  • सिक्योरिटी पर ब्याज.

टीडीएस कटौती की दरें 2022-23 | Rates of TDS Deduction

1.सैलरी और पेंशन के भुगतान पर TDS की दर

Section 190: सैलरी पर TDS की दर,  आपके income tax slab के हिसाब से तय होती है। जितनी ज्यादा आपकी आमदनी होती है, उतना ज्यादा TDS कटौती होगी। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए इनकम टैक्स स्लैब इस प्रकार है।

2. ब्याज के रूप में हुई आमदनी पर TDS दर 10%
Section 194A: शेयरों के अलावा आपकी Bank या Post Office में जमा पैसों पर (Saving Account, FD, RD वगैरह) पर ₹40 हजार सालाना से अधिक ब्याज मिलने पर 10% के हिसाब से TDS काटने का नियम है। बुजुर्ग नागरिकों (60 वर्ष से अधिक उम्र) को बैंक जमाओं से मिलने वाली सालाना 50 हजार रुपए तक के ब्याज को टैक्स (TDS) से छूट दे दी गई है।

Note : बैंकों के अलावा अगर आपको किसी अन्य तरह के संस्थान से, आपकी जमा पर ब्याज के रूप में सालाना 5000 रुपए से अधिक आमदनी होती है तो 10 प्रतिशत की दर से TDS काटने का नियम है।

3. प्रोविडेंट फंड के पैसों को 5 साल के पहले निकालने पर 10%
Section 192A : इंम्प्लाई प्रोविडेंट फंड (EPF) की रकम अगर आप अकाउंट शुरू होने के 5 साल के भीतर निकालते हैं तो भी आपकी कंपनी या नियोक्ता उस पर 10 प्रतिशत TDS टीडीएस काट सकता है। लेकिन, अगर यह रकम 50 हजार रुपए से कम है तो टीडीएस नहीं कटेगा।  हालांकि, इस TDS से बचने के लिए आप पीएफ withdrawal form के साथ फॉर्म 15G जमा कर सकते हैं।

4.मेच्योर्ड बीमा पॉलिसी के भुगतान पर 1%
Section 194DA: अक्सर लोगों की धारणा होती है कि जीवन बीमा पॉलिसी (Life Insurance Policy ) पूरी तरह Tax Free होती है। लेकिन, वास्तव में, यह सिर्फ कुछ शर्तों के पूरी होने पर ही Tax Free होती है। अन्यथा, जीवन बीमा पॉलिसी की मेच्योरिटी पर भी 1 % TDS काटे जाने का नियम है। जीवन बीमा पर TDS कब कटेगा, आइए जानते हैं— अगर आप टैक्स भुगतान योग्य Income पाते हैं तो, जीवन बीमा पॉलिसी की मेच्योरिटी पर 1 लाख रुपए से अधिक के भुगतान पर भी 1 % TDS टीडीएस कटेगा। यह TDS उन सभी जीवन बीमा पॉलिसी पर लागू होता है, जिनमें Maturity पर मिलने वाली रकम (Sum Assured) उनके सालाना Premium के 10 गुना से कम है। लेकि​न, पॉलिसी धारक की मौत होने पर जीवन बीमा Policy के रूप में मिलने वाली रकम पूरी तरह टैक्स फ्री (Completely Tax Free) ही होगी। (Section 10(10D) के अनुसार)

5. प्रोफेशनल या तकनीकी सेवा के भुगतान पर 10%
Section 194J: अगर कोई संस्थान किसी व्यक्ति को उच्च प्रोफेशनल या तकनीकी सेवा के बदले सालाना 30 हजार रुपए या इससे अधिक का भुगतान करता है तो 10 प्रतिशत की दर से टीडीएस काटकर वह बाकी रकम का भुगतान करेगा। प्रोफेशनल सेवाओं से मतलब, Medical, Legal, Engineering, Architectural, Accountancy, Company Secretary, Interior decoration, Advertising व अन्य ऐसी ही उच्च स्किल वाली सेवाओं को खुद करके देने से है से है, जिनका उल्लेख सेक्शन 44AA में किया गया है। Event Managers, Sports persons, Commentators, Anchors, Umpires ,Referees, Coaches, Trainers वगैरह की सेवाएं भी इसी श्रेणी में आती हैं। तकनीकी सेवाओं से मतलब Technical, Managerial या Consultancy services व ऐसी ही अन्य सेवाओं लिए परामर्श देने भर से है जिनका section 194J में उल्लेख किया गया है। जैसे कि Finance Planner की सलाह के लिए भुगतान करना।

6. जमीन या बिल्डिंग से किराए की आमदनी पर 5%
Section 194 IB: जमीन या बिल्डिंग के किराए के रूप में अगर आप हर महीने 50 हजार या इससे अधिक आमदनी पाते हैं, तो किराए की रकम पर 5% की दर से TDS कटेगा।  जो व्यक्ति किराया चुकाएगा, उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह Rent Payment से पहले TDS काट ले और बाकी रकम जमीन या बिल्डिंग के मालिक को भुगतान करे। अगर कोई संस्था किराया चुकाती है तो TDS काटने का नियम और सख्त हो जाएगा। ऐसी स्थिति में अगर किराया सालाना 2,40,000 से ज्यादा होगा तो किरायेदार TDS काटकर पेमेंट करेगा। टीडीएस की दर भी 10% की होगी।

7.प्लांट या मशीनरी से किराए की आमदनी पर 2%
Section 194 I: प्लांट या मशीनरी के किराए के रूप में अगर आप सालाना 2,40,000 या इससे अधिक आमदनी पाते हैं, तो अतिरिक्त रकम पर आपको 10 फीसदी की दर से TDS कटवाना होगा। जो संस्था किराया चुकाएगी, उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह Rent Payment से पहले TDS काट ले और बाकी रकम प्लांट या मशीनरी के मालिक को भुगतान करे।




8. बीमा एजेंट के कमीशन, या शेयर दलाल के कमीशन पर 5%

Section 194D: इंश्योरेंस कमीशन के लिए
Section 194H: ब्रोकरेज पर टीडीएस के लिए

बीमा एजेंट को कमीशन के रूप में 15 हजार सालाना से अधिक का भुगतान करने पर 5 % TDS काटने का नियम है। पॉलिसी कमीशन पर TDS का यह नियम पॉलिसी के Renew कराने या दोबारा एक्टिव (Revival) कराने पर भी लागू होता है।  इसी तरह शेयरों की खरीद व बि​क्री पर कमीशन के रूप में 15 हजार सालाना से अधिक के भुगतान पर 5 प्रतिशत TDS काटने का नियम है।

 9. ठेके , उपठेके या विज्ञापन के भुगतान पर 1% – व्यक्ति/HUF के लिए, 2% कंपनियों के लिए
Section  194C: किसी काम का ठेका लेने पर, प्रति contract 30 हजार या सालाना 1 लाख रुपए से अधिक के भुगतान पर 1 प्रतिशत TDS काटने का नियम है। ठेका पर काम पूरा होने के बाद जो भुगतान किया जाएगा, उस पर TDS काटा जाएगा। सभी सरकारी या प्राइवेट कंपनी, संस्थान, फर्म या व्यक्तियों की ओर से ठेका पर काम कराने के बदले भुगतान पर यह नियम लागू होता है। इस तरह के कामों में किसी व्यक्ति या संस्था की जरूरत का सामान बनाने या सप्लाई करने का ठेका, मजदूरों की सप्लाई करने का ठेका, विज्ञापन ठेका, कार्यक्रमों के निर्माण और प्रसारण का ठेका, सामान या यात्रियों के ले जाने का ठेका वगैरह शामिल होते हैं।

10.कृषि भूमि के अलावा अचल संपत्ति की बि​क्री या अधिग्रहण पर 1%
Section 194IA: कृषि जमीन को छोड़कर अगर आप किसी तरह की अचल संपत्ति  (जमीन, मकान, दुकान वगैरह) को बेचने पर जो रकम मिलती है उस पर भी 1% का TDS कटता है। अगर ऐसी सपत्ति के अधिग्रहण (Acquisition) के बदले मुआवजा मिलता है तो उस भी 1% TDS चुकाने का नियम है।  लेकिन, यह TDS सिर्फ उन सौदों पर ही काटे जाने का नियम है, जब प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये या इससे ​अधिक हो। PAN नंबर न होने की स्थिति मेें ऐसे सौदों पर 20 प्रतिशत तक TDS काटा जा सकता है।

11.लॉटरी, quiz, कॉर्ड गेम या हॉर्स रेस में इनाम जीतने पर 30%
Section 194B: लॉटरी, कार्ड गेम में जीती रकम के लिए
Section 194BB: होर्स रेस में जीती रकम के लिए

आम​दनी के नियमित स्रोतों या पेशेवर कमाई के अलावा अगर आपको कोई रकम हासिल होती है जैसे कि लॉटरी, क्रॉसवर्ड पजल, कार्ड गेम के माध्यम से जीती गई रकम तो उस पर एकमुश्त 30 % की दर से TDS कटेगा। Horse racing में जीती रकम पर भी 30 % TDS कटता है। इसी प्रकार बड़ी रकम वाली क्विज या परफॉर्मिंग से जुड़े कंपटीशन में जीती हुई रकम पर भी 30 % की दर से TDS काटने का नियम है।

TDS में कटौती करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें – आयकर अधिनियम की धारा 192 से 194L को TDS के तहत खर्चों और आय के स्रोतों(sources) की पूरी लिस्ट दी जाएं ।

  • यदि कोई व्यक्ति इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता तो TDS कटौती न कराने के लिए एडवांस में टैक्स काटने वाले को फॉर्म 15G या फॉर्म 15H दे सकता हैं.।
  • फॉर्म 15H वरिष्ठ नागरिकों के लिए हैं.
  • फॉर्म 15G अन्य सभी व्यक्तियों के लिए हैं.
  • जैसा कि ऊपर लिखा गया है कुछ भुगतान TDS के अधीन हैं.
  • TDS के लिए एक तय सीमा हैं और यह हर तरह की आय पर लागू होता हैं.
  • नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए आयकर स्लैब रेट के अनुसार TDS की कटौती की जाती हैं.
  • अन्य टैक्स देने वाले के लिए, TDS हर तरह की आय पर तय प्रतिशत में काट लिया जाता हैं.

TDS निम्नलिखित मामलों में TDS लागू नहीं होता:

  • जब राशि का भुगतान सरकार या किसी सरकारी बॉडी और भारतीय रिजर्व बैंक को किया जाता हैं.
  • धारा 10(23D) के तहत अधिसूचित म्यूचुअल फंड के लिए राशि का भुगतान किया जाता हैं.
  • जब आयकर अधिनियम की धारा 192 के तहत करदाता के पास टैक्स छूट का प्रमाण पत्र हो.
  • जब राशि का भुगतान राज्य या केंद्रीय वित्तीय निगमों को किया जाता हैं.
  • ब्याज जमा किया जा चुका हो.
  • बैंक या बैंकिंग कंपनी.
  • जीवन बीमा निगम, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया या किसी अन्य बीमा कंपनी.
  • राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र.
  • किसान विकास पत्र.
  • गैर निवासी (non-resident) बाहरी खाता.
  • बैंकिंग सहकारी समिति.
  • बैंकों और सहकारी समिति के सेविंग अकांउट और रेकरिंग डिपॉज़िट.
  • टैक्स की कटौती न करने के लिए अधिसूचित निकाय(नॉटिफाइड बॉडी)।

TDS के लाभ

  • यह टैक्स चोरी रोकने में मदद करता हैं।
  • पूरे वित्तीय वर्ष में TDS कटता है और यह राजस्व की आमदनी का तरीका हैं।
  • यह टैक्स कलेक्शन का तरीका हैं।
  • यह सरकार और टैक्स काटने वाले के बीच टैक्स कलेक्शन की जिम्मेदारी साझा करने का एक तरीका है।

TDS प्रमाणपत्र :- आयकर रिटर्न भरते समय टीडीएस प्रमाणत्र की जरूरत पड़ती है। आयकर अधिनियम की धारा 203 के अनुसार, जो कोई भी TDS काट रहा हैं, उसे अन्य सभी जानकारी के साथ टैक्स के रूप में काटी गई राशि से संबंधित प्रमाण-पत्र उसे दिखाना होता है जिसका TDS काटा जा रहा है| इसे TDS प्रमाण-पत्र कहा जाता हैं। फॉर्म 16, फॉर्म 16, फॉर्म 16 बी और फॉर्म 16 सी जैसे विभिन्न प्रकार के टीडीएस सर्टिफिकेट हैं। टीडीएस लगाने वाली इकाई रसीद के प्रमाण के रूप में एक प्रमाण पत्र प्रदान करती है। टीडीएस प्रमाणपत्र  (TDS certificate) ऐसा डॉक्यूमेंट्स होता है, जो इस बात का सबूत होता है कि आपको प्राप्त हुई आय पर इनकम टैक्स पहले ही काट लिया गया है। और काटे गए टैक्स को सरकार के पास जमा कर दिया गया है। इसका पूरा विवरण आपके PAN अकाउंट नंबर के माध्यम से इनकम टैक्स विभाग के पास दर्ज हो जाता है।

उदाहरण के लिए, एक नियोक्ता कर्मचारी को फॉर्म 16 जारी करता है। बैंक एक जमाकर्ता को एक फॉर्म 16 ए प्रदान करेगा, जब वह उस ब्याज पर टीडीएस काटता है जो एक व्यक्ति फिक्स्ड डिपॉजिट्स से कमाता है।


नौकरीपेशा के मामले में

  • कंपंनी अपने कर्मचारी को फार्म 16 देती हैं जिसमें टैक्स राशि से संबंधित सभी जानकारी होती हैं।
  • फॉर्म में सभी जानकारियां होती हैं जैसे कम्प्यूटेशन, कटौती और टैक्स का भुगतान आदि।
  • फॉर्म अगले वित्तीय वर्ष के 31 मई तक देना होता हैं।

गैर-नौकरीपेशा के मामलों में

  • फॉर्म 16A टैक्स काटने वाले के द्वारा दिया जाता है जिसमें टैक्स कम्प्यूटेशन, टैक्स छूट और भुगतान से संबंधित सभी जानकारी होती हैं।
  • TDS रिटर्न फाइल करने की तय तारीख के 15 दिनों में कटौती करने वालों को प्रमाण-पत्र जारी करना होता हैं।
  • TCS: एक प्रमाण पत्र है जिसमें टैक्स छूट और टैक्स भुगतान से संबंधित जानकारी होती है जो फॉर्म 27D में जारी किया गया है|

केंद्र सरकार को TDS जमा करना

  • TDS काटने वाले को NSDL के द्वारा भुगतान करके केंद्र सरकार को TDS जमा करना होता हैं, जिसे ऑथॉराइज़ड बैंक शाखाओं में जमा किया जा सकता हैं।
  • यह भुगतान NSDL के आधिकारिक पोर्टल के द्वारा चालान 281 का उपयोग करके और नेट बैंकिंग के माध्यम से भुगतान ऑनलाइन किया जा सकता है।
  • TDS रिटर्न फाइल करने से पहले TDS राशि जमा करनी होती हैं।
  • ई-भुगतान उन सभी के लिए अनिवार्य है जो धारा 44AB के तहत ऑडिट हो सकता है|

TDS भुगतान की तारीख

नियमों का पालन न करने पर टैक्स कटौती करने वाले को जुर्माना देना पड़ सकता हैं। निम्नलिखित जुर्माना हैं-

  • TDS की कटौती न करने पर: यदि कोई TDS काटने वाला टैक्स नहीं काटता हैं तो इसके लिए आयकर अधिकारी द्वारा टैक्स काटने वाले को दिया जाने वाला लाभ नहीं मिलता हैं।
  • देरी से TDS काटने पर: भुगतान या खरीद के एक दिन या कुछ दिन बाद TDS काटने पर 1% प्रति माह का ब्याज़ देना होता है|
  • TDS को देरी से भुगतान करने पर:- ऐसी स्थिति में टैक्स काटने वाले को हर महीने 1.5% की रेट से TDS राशि पर ब्याज़ का भुगतान करना होगा।
  • TDS काटने वाले को हर तीन महीनों में तय तिथि पर TDS रिटर्न फाइल करना होता है| विभिन्न तरह के TDS कटौती के लिए अलग-अलग TDS फॉर्म होते हैं|

TDS रिटर्न ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से फाइल किया जा सकता है| हालाँकि, आईटी अधिनियम की धारा 206 के अनुसार, निम्नलिखित के लिए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से TDS रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है:

  •  सभी निजी कंपनियों के लिए
  • सभीसरकारी विभगों के लिए
  • अगर टैक्स काटने वाले का धारा 44AB के तहत ऑडिट हो सकता है
  • यदि टैक्स काटने वाले के तिमाही (तीन महीनें) की स्टेटमेंट में ये रिकॉर्ड आता है कि उसने इस दौरान 20 या ज़्यादा लोगों का TDS काटा है|
    ई-फाइलिंग TDS रिटर्न के लिए कुछ पूर्व-आवश्यकताएं
  • टैक्स काटने वाला ई-फाइलिंग में रजिस्टर्ड होना चाहिए और उसके पास वैध TAN भी होना चाहिए।
  • रिफंड तैयारी उपयोगिता (RPU) और फ़ाइल मान्यता उपयोगिता (FVU) NSDL से डाउनलोड करें।
  • इसको ध्यान में रखते हुए TDS का स्टेटमेंट तैयार किया जाना चाहिए।
  • ई-फाइलिंग साइट में वैध DSC के लिए रजिस्टर करें।

महत्वपूर्ण बिंदू:

  • आयकर अधिनियम की धारा 203 A के अनुसार TDS काटने वाले प्रत्येक व्यक्ति के पास TAN(कर कटौती और वसूली खाता संख्या) होना चाहिए।
  • TDS रिटर्न दाखिल करते समय TAN एक अनिवार्य आवश्यकता है और जारी किए गए TDS प्रमाण पत्र पर भी लिखा जाना चाहिए।
  • TDS कटौती आपके पैन से जुड़ी हुई हैं। TDS काटने के लिए पैन जानकारी होना आवश्यक है।
  • टैक्स काटने वाले को हर टैक्स देने वाले के पैन से लिंक करें।
  • कुल भुगतान टैक्स के लिए टैक्स काटने वाले को भुगतान किए गए TDS का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
  • TDS जानकारी टैक्स को क्रेडिट फार्म 26AS द्वारा जांच सकते हैं।
  • यह टैक्स जानकारी आपको टैक्स देने वाले के द्वारा सभी भुगतानों के लिए काटे गए TDS की जानकारी देता हैं।

देर से फाइलिंग ITR के लिए-
यदि टैक्स काटने वाले तय तिथि पर या उससे पहले TDS रिटर्न नहीं दे पाता हैं, तो वह डिफ़ॉल्ट की तिथि तक प्रतिदिन 200 रु. का जुर्माना देने के लिए जिम्मेदार होगा। और इस तरह का जर्माना कुल राशि व कटौती टैक्स की कुल राशि से अधिक नहीं होना चाहिए।

ITR फाइल नहीं करने पर

  • यदि टैक्स काटने वाला TDS रिटर्न की तय तिथि के एक वर्ष में TDS रिटर्न फाइल नहीं करता है तो उसे 10000 रु. से 1 लाख रुपये तक का जर्माना भरना पड़ सकता हैं।
  • यह उन मामलों के लिए लागू होता है जिनमें टैक्स काटने वाले के द्वारा गलत जानकारी दी गई हो।
  • TDS वापस कर दिया जाता है।
  • यदि काटे गए TDS आपको एक वर्ष में भुगतान करने वाले टैक्स की कुल राशि से अधिक है, तो आप TDS राशि के लिए दावा करने के योग्य हैं।
  • जब आपकी कुल आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है, तो आप रिफंड के लिए दावा कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, आप एक फ्रीलांसर हैं जो विभिन्न कंपनियों के साथ कॉन्टरेक्ट पर काम करते हैं। मान लीजिए कि आपके द्वारा किए गए एक काम के लिए 10,000 रु. का TDS काटा गया। लेकिन, उस वर्ष में आपकी कुल आय 2.4 लाख रुपये तक थी जो टैक्स छूट सीमा में है। ऐसी स्थिति में रिफंड का दावा कर सकते हैं क्योंकि आपकी वार्षिक आय टैक्स के दायरे से बाहर है।

अगर आपकी आय टैक्स के दायरे से बाहर आती है, तो आप स्रोत पर टैक्स की कटौती न करने के लिए एक रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इसके लिए निम्न दो तरीके हैं-

  • फॉर्म 15G/15H जमा करें। जिसके द्वारा आप घोषणा कर सकते हैं कि आपकी वार्षिक आय संबंधित वित्तीय वर्ष में टैक्स के दायरे से बाहर है इसलिए स्रोत पर कर नहीं काटा जाना चाहिए।
  • घोषणा केवल उस विशेष वित्तीय वर्ष के लिए अच्छा रखती है। इसलिए, इसे हर साल जमा करने की आवश्यकता होती है जिसमें आपकी टैक्स योग्य आय सीमा से कम है।
  • आप TDS की कम कटौती या न के बराबर कटौती के लिए एक आवेदन पत्र रख सकते हैं।
  • भरे गए फॉर्म 13 को आयकर अधिकारी को जमा करना होगा।

TDS REFUND के लिए हमसे संपर्क करें Click on me


 


Post a Comment

Previous Post Next Post
Hidden on screen and shown in print
Show on screen and print
Shown on screen and hidden in print