प्रत्येक भारतीय नागरिक को भारत सरकार द्वारा कानूनों के रूप में कई अधिकार प्रदान किए गए हैं। उन उपयोगी कानूनी अधिकारों की जानकारी आपके लिए आवश्यक है। जानिए कानून प्रदत्त अधिकारों
को-
- अगर जमानतीय मामले में व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है तो वह जमानतीय अधिकार की मांग कर सकता है। उसके लिए जमानत पर रिहाई का कानूनी प्रावधान है।
- अपने साथ हुए जुल्म, अन्याय तथा अधिकार समाप्ति के विरुद्ध प्रत्येक व्यक्ति को पुलिस में एफ०आई०आर० दर्ज करवाने का कानूनी अधिकार प्रदान किया गया है।
- अभियुक्त को कारावास की सजा होने पर वह न्यायालय निर्णय की प्रति निःशुल्क प्राप्त कर सकता है।
- अर्जित संपत्ति के स्वामी की वसीयत किए बिना मृत्यु होने पर उत्तराधिकार नियमों का अधिकार का निष्पादन करवाने का विधिक हक प्रदान किया गया है।
- अवयस्क व्यक्ति द्वारा की गई संविदा के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
- उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार एफ०आई०आर०किसी भी थाने में दर्ज करवाई जा सकती है। आवश्यक नहीं कि उसी थाने अपराध प्राथमिकी दर्ज हो, जिसके क्षेत्र में वारदात हुई हो ।
- कानूनी सहायता के (विविध हकदार) नागरिकों को अपनी सुरक्षा के लिए वकील की सेवाएं सरकारी खर्च पर प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
- किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए दो बार दण्डित नहीं किया जा सकता, अगर अपराध दोहराया न गया हो
- किसी भी व्यक्ति को गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता।
- गर्भवती स्त्री को मृत्युदण्ड नहीं दिया जा सकता है। दण्डादेश को स्थगित करवाने का अधिकार प्रदान किया गया है।
- गिरफ्तार किया गया व्यक्ति न्यायिक साक्ष्य के लिए अपनी शारीरिक परीक्षा (जांच) करवा सकता है।
- गिरफ्तार व्यक्ति को यह हक है कि वह अपनी गिरफ्तारी की सूचना अपने परिजनों, मित्रों, रिश्तेदारों तथा वकील को दे सके।
- चौदह वर्ष से कम उम्र के बालकों को कारखाने में श्रम पर नहीं रखा जा सकता।
- जेल में बंद कैदियों को भी श्रम के बदले में मजदूरी दिए जाने का प्रावधान जो उसे रिहाई के समय प्रदान दी जाती है।
- जेल मैन्युअल के मुताबिक कैदी व्यक्ति प्रत्येक मंगलवार तथा गुरुवार, को प्रत्येक दिवस में दो व्यक्तियों से मुलाकात कर सकता है। वकील अथवा वकीलों से मिलने के संबंध में उन्हें यह अधिकार है कि वह जब चाहें और जितनी बार चाहें अपने (कैदी) मुवक्किल से मुलाकात कर सकते हैं।
- पत्नी को उसके पति के खिलाफ एवं पति को पत्नी के खिलाफ गवाही देने पर मजबूर नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार अपने ही मामले में व्यक्ति को खुद के खिलाफ गवाही तथा सबूत पेश करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
- पुलिस द्वारा एफ०आई०आर० दर्ज न करने पर व्यक्ति पुलिस अधीक्षक को पत्र द्वारा अपराध की सूचना देकर एफ०आई०आर० दर्ज करवा सकते हैं।
- पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति यदि चौबीस घण्टों में मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया जाता है तो वह अपनी रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट का प्रयोग कर सकता है।
- प्रत्येक नागरिक को न्यायालय में अपना पक्ष प्रस्तुत करने का न्यायिक हक प्रदान किया गया है।
- प्रत्येक व्यक्ति अधिकार हनन के खिलाफ न्यायालय में परिवाद दायर कर सकता है।
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अर्जित सम्पत्ति का उत्तराधिकारी तय करने का अधिकार है।
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जीवन रक्षा करने का अधिकार है। स्वयं का जीवन बचाने के लिए व्यक्ति हमलावर या हमलावरों के खिलाफ संघर्ष करने का विविध अधिकार रखता है ।
- प्रत्येक व्यक्ति को एफ०आई०आर० की निःशुल्क प्रति प्राप्त करने का विधिक अधिकार है।
- प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह अपनी गिरफ्तारी के कारणों को जान सके।
- प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह अपनी गैर हाजरी निष्पादन के लिए प्रतिनिधि मुकर्रर कर सके।
- फौजदारी धारा 47 के अनुसार महिला कैदी से पूछताछ एवं तलाशी का कार्य महिला द्वारा ही किया जा सकता है।
- बिना वारण्ट गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को पुलिस चौबीस घण्टों से अधिक समय तक गिरफ्तार करके नहीं रख सकती। वरना पुलिस कार्यवाही को कानूनी भाषा में दूषित माना जाएगा।
- भारतीय नागरिक को ससम्मान जीवन निर्वाह का अधिकार है। प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है। प्रत्येक नागरिक को आजीविका कमाने का अधिकार प्रदान किया गया है ।
- मृत्युदण्ड के विरुद्ध अगर अनुज्ञात अवधि में अपील की गई हो तो मृत्युदण्ड को अपील के निरपराध होने तक स्थगित रखे जाने का प्रावधान किया गया है।
- लोकहित से जुड़े मामलों के लिए कोई भी व्यक्ति उच्चतम न्यायालय को अपनी शिकायत लिखित रूप में डाक से प्रेषित कर सकता है।
- विधवा बहू को अपने ससुर की अर्जित संपत्ति का जायज अधिकारी माना गया है।
- व्यक्ति से उसकी सजा के विरुद्ध जाकर श्रम नहीं करवाया जा सकता। चाहें पारिश्रमिक दे दिया गया ।
- सात वर्ष से कम उम्र के बालक द्वारा किया गया कार्य जुर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
- सार्वजनिक स्थानों पर अवरोध के विरुद्ध प्रत्येक व्यक्ति कार्यकारी मजिस्ट्रेट व जिला मजिस्ट्रेट के पास परिवेदना दर्ज करवा सकता है।
- स्त्रियों व बालकों से अनैतिक श्रम करवाना दण्डनीय अपराध है। उनसे जबरन भीख मंगवाना अथवा वेश्यावृत्ति करवाना जुर्म है।
- स्त्री धन को प्रत्येक कुर्की तथा नीलामी से मुक्त रखा गया है।
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के अनुसार पति द्वारा अर्जित संपत्ति पर पत्नी को आधी तथा उसकी सास को आधी संपत्ति का अधिकार दिया गया है।
कानूनी सहायता के लिए हमसे संपर्क करें और हमारी वेबसाइट विजिट करें Click on me