पुलिस का अपराधी से पूछताछ करने का अधिकार क्या है ?

पुलिस का अपराधी से पूछताछ करने का अधिकार (Crpc- 42)

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 42 के अनुसार किसी असंज्ञेय अपराध (Non-cognizable) अपराध के सन्देह में पुलिस संशयित अपराधी से उसके नाम, पते आदि की पूछ-ताछ कर सकती है ताकि उसकी ठीक पहचान हो जाए। अपराधी से सन्तोषजनक उत्तर न मिलने पर पुलिस उसे तब तक हिरासत में रख सकती है जब तक उसकी सही पहचान नहीं हो जाती है। संशयित अपराधी से पूछताछ करने सम्बन्धी पुलिस की अधिकार-शक्ति की सीमाएँ दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 में वर्णित हैं। पूछताछ के दौरान पुलिस से सौजन्यता का बर्ताव करने की अपेक्षा की जाती है तथा उसे अपराधी को अनावश्यक रूप से आतंकित नहीं करना चाहिये। अपराधी से पूछताछ के दौरान बयान पर उसके हस्ताक्षर करा लेना दुण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 162 तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के अनुसार अवैध है। इसी प्रकार पुलिस के समक्ष अभियुक्त द्वारा की गई संस्वीकृति (Confession) अग्राह्य होती है।' परन्तु पुलिस के समक्ष की गई संस्वीकृति के आधार पर की गई कोई बरामदगी वैध साक्ष्य के रूप में मान्य होगी। अतः यदि किसी हत्या के मामले में अभियुक्त द्वारा पुलिस के समक्ष की गई संस्वीकृति के आधार पर कोई शस्त्र या आयुध (हथियार) बरामद किया जाता है, तो ऐसी बरामदगी साक्ष्य के रूप में ग्राह्य एवं वैध होगी।


नाम और निवास बताने से इनकार करने पर गिरफ्तारी दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 42 के अनुसार -

  • जब कोई व्यक्ति जिसने पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध किया है या जिस पर पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध करने का अभियोग लगाया गया है, उस अधिकारी की मांग पर अपना नाम और निवास बताने से इनकार करता है या ऐसा नाम या निवास बताता है. जिसके बारे में उस अधिकारी को यह विश्वास करने का कारण है कि वह मिथ्या है, तब वह ऐसे अधिकारी द्वारा इसलिए गिरफ्तार किया जा सकता है कि उसका नाम और निवास अभिनिश्चित किया जा सके।
  • जब ऐसे व्यक्ति का सही नाम और निवास अभिनिश्चित कर लिया जाता है तब वह प्रतिभुओं सहित या रहित यह बंधपत्र निष्पादित करने पर छोड़ दिया जाएगा कि यदि उससे मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होने की अपेक्षा की गई तो वह उसके समक्ष हाजिर होगा
  • परंतु यदि ऐसा व्यक्ति भारत में निवासी नहीं है तो वह बंधपत्र भारत में निवासी प्रतिभू या प्रतिभुओं द्वारा प्रतिभूत किया जाएगा
  • दि गिरफ्तारी के समय से चौबीस घंटों के अंदर ऐसे व्यक्ति का सही नाम और निवास अभिनिश्चित नहीं किया जा सकता है या वह बंधपत्र निष्पादित करने में या अपेक्षित किए जाने पर पर्याप्त प्रतिभू देने में असफल रहता है तो वह अधिकारिता रखने वाले निकटतम मजिस्ट्रेट के पास तत्काल भेज दिया जाएगा।



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