क्या आप जानते हैं कि Contempt of Court कितने प्रकार से होता है? यदि नहीं, तो आपके लिए यह जानना भी जरूरी है।

साथियों आज हम जानेंगे कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के बारे में कि या कब और किन स्थितियों में माना जाता है और इसके कितने प्रकार होते हैं, आप यह लेख www.advocatesask.com के माध्यम से पढ़ रहे हैं, तो चलिए जातने हैं (Contempt of Court) के बारे में -

इसका अर्थ होता है अदालत के आदेशों, निर्णयों या न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन करना, या अदालत की प्रतिष्ठा और गरिमा को नुकसान पहुंचाना। यह कानून का उल्लंघन करने का एक गंभीर अपराध माना जाता है, और इसे "अदालत की अवमानना" भी कहा जाता है।(अदालत की अवमानना) को भारतीय कानून में विशेष रूप से Indian Contempt of Courts Act, 1971 के तहत नियंत्रित किया जाता है। इस अधिनियम के तहत अदालत की अवमानना से संबंधित विभिन्न धाराएं दी गई हैं।

कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के प्रकार:

  1. Civil Contempt (नागरिक अवमानना):
    • अदालत के आदेश का पालन न करना या अदालत के आदेशों का उल्लंघन करना
    • उदाहरण: अगर अदालत ने किसी व्यक्ति को आदेश दिया है कि वह किसी वस्तु को वापस करे या किसी दूसरे व्यक्ति को संपत्ति दे, और वह आदेश लागू नहीं करता, तो यह civil contempt होगा।
  2. Criminal Contempt (आपत्तिजनक अवमानना):
    • अदालत के कार्य या निर्णय की निंदा करना या अदालत की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना, जिससे अदालत की गरिमा को नुकसान पहुंचे।
    • उदाहरण: अगर कोई व्यक्ति अदालत के सामने अशोभनीय भाषा का प्रयोग करता है, या अदालत के कामकाज में व्यवधान डालता है, तो यह criminal contempt हो सकता है।

कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट के उदाहरण:

  1. अदालत का आदेश न मानना:
    यदि किसी व्यक्ति या संस्था को अदालत के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया जाता है, और वह उसे जानबूझकर न मानता है, तो वह नागरिक अवमानना का अपराध कर रहा है।

  2. अदालत के फैसले या कार्यों की निंदा करना:
    यदि कोई व्यक्ति या मीडिया व्यक्ति अदालत के फैसले की सार्वजनिक रूप से निंदा करता है या उसे चुनौती देता है, तो इसे criminal contempt माना जा सकता है।

  3. अदालत की अवमानना में हस्तक्षेप:
    यदि कोई व्यक्ति अदालत के दौरान किसी गवाह या अन्य पक्ष को धमकाता है या अनुशासनहीनता करता है, तो यह भी अदालत की अवमानना हो सकती है।

कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का परिणाम:

कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट गंभीर अपराध माना जाता है, और इसके लिए निम्नलिखित दंड हो सकते हैं:

  • जेल की सजा: किसी को कुछ दिनों या महीनों के लिए जेल भेजा जा सकता है।
  • जुर्माना: अदालत उस व्यक्ति पर जुर्माना भी लगा सकती है।
  • अदालत की अवमानना में सुधार का आदेश: अदालत आदेश दे सकती है कि व्यक्ति को अपना व्यवहार सुधारना होगा और भविष्य में ऐसा न करने का वचन लेना होगा।

भारतीय संविधान और कंटेंप्ट:

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 और 215 में अदालत की अवमानना के अधिकार की बात की गई है:

  • अनुच्छेद 129: सुप्रीम कोर्ट को अपने अधीन कार्यों की अवमानना रोकने का अधिकार है।
  • अनुच्छेद 215: उच्च न्यायालयों को अपने अधीन कार्यों की अवमानना रोकने का अधिकार है।

संक्षिप्त में:

कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट अदालत के आदेशों का उल्लंघन या अदालत की प्रक्रिया और गरिमा को नुकसान पहुंचाना होता है। यह कानूनी प्रक्रिया को बाधित करने और न्यायपालिका के अधिकारों का उल्लंघन करने के रूप में देखा जाता है, और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। Indian Contempt of Courts Act, 1971 के तहत अदालत की अवमानना से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं। धारा 2(a) से लेकर धारा 16 तक, हर मामले में अदालत के आदेशों और फैसलों की अवमानना पर सजा और दंड का प्रावधान किया गया है। यह कानून अदालत की गरिमा बनाए रखने और न्यायिक कार्यवाही को प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।


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