क्या आप जानते हैं कि अदालत में सबूत कब और कैसे दिए जाते हैं? यदि नहीं तो आज ही पढ़ें
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian
Evidence Act) 1 सितंबर 1872 में लागू हुआ। यह ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया कानून
है। इसके कानून के जनक मुख्य रूप से सर जेम्स फिट्ज़जेम्स स्टीफन है। भारतीय
साक्ष्य अधिनियम में 11 अध्याय और 167 धाराएँ हैं। यह तीन भागों में विभक्त है। यह
सभी न्यायालयों के समक्ष सभी न्यायिक कार्यवाहियों पर लागू होता है और जिसमें सेना
न्यायलय भी शामिल होंगे। लेकिन वे सेना
न्यायलय जो सेना अधिनियम 1950 , नौसेना अनुशासन अधिनियम
या भारतीय नौसेना (अनुशासन) अधिनियम 1934 या वायु सेना अधिनियम के तहत बनाए गए कोर्ट-मार्शल के अलावा, किसी न्यायलय या अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत शपथ
-पत्र / हलफनामे और मध्यस्थता पर यह लागू नहीं होता है।
अध्याय-1
1- संक्षिप्त नाम, विस्तार एवंम्
प्रारम्भ
2- अधिनियमों का
निरसन
3- निर्वचन खण्ड
4- उपधारणा करना
अध्याय-2
5- विवाघक तथ्यों
और सुसंगत तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकेंगा
6- एक ही संव्यवहार
के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति
7- वे तथ्य जो
विवाघक तथ्यों के प्रसंग, हेतुक या परिणाम है
8- हेतु तैयारी और
पूर्ण का या पश्चात् का आचरण
9- सुसंगत तथ्यों
के स्पष्टीकरण के पुरःस्थाप के लिये आवश्यक तथ्य
10- सामान्य
परिकल्पना के बारे मे षड्यन्त्रकारी व्दारा कही या की गई बाते
11- वे तथ्य जो
अन्यथा सुसंगत नही हैं कब सुसंगत है
12- नुकसानी के लिए
वादों में रकम अवधारित करने के लिए न्यायालय को समर्थ करने की प्रवृत्ति रखने वाले
तथ्य सुसंगत हैं
13- जबकि अधिकार या
रूढ़ि प्रश्नगत है, तब सुसंगत तथ्य
14- मन या शरीर की
दशा या शारीरिक संवेदना का अस्तित्व दर्शित करने वाले तथ्य
15- कार्य आकस्मिक
या साशय था इस प्रश्न पर प्रकाश डालने वाले तथ्य
16- कारोबार के
अनुक्रम का अस्तित्व कब सुसंगत है
17- स्वीकृति की
परिभाषा
18- स्वीकृति–कार्यवाही
के पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा- कथन स्वीकृतियाँ हैं
19- उन व्यक्तियों
द्वारा स्वीकृतियां जिनकी स्थिति वाद के पक्षकारों के विरुद्ध साबित की जानी चाहिए
20- वाद के पक्षकार
द्वारा अभिव्यक्त रूप से निर्दिष्ट व्यक्तियों द्वारा स्वीकृतियां
21- स्वीकृतियों का
उन्हें करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध और उनक व्दारा या उनकी ओर से साबित किया
जाना
22- दस्तावेजों की
अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं
22A- इलेक्ट्रानिक
अभिलेखों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं
23- सिविल मामलों
में स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं
24- उत्प्रेरणा, धमकी या वचन
द्वारा कराई गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में कब विसंगत होती है
25- पुलिस आफिसर से
की गई संस्वीकृति का साबित न किया जाना
26- पुलिस की
अभिरक्षा होते हुए अभियुक्त द्वारा की गई संस्वीकृति का उसके विरुद्ध साबित न किया
जाना
27- अभियुक्त से प्राप्त
जानकारी में से कितनी साबित की जा सकेगी
28- उत्प्रेरणा, धमकी या वचन से
पैदा हुए मन पर प्रभाव के हो जाने के पश्चात् की गई संस्वीकृति सुसंगत है
29- अन्यथा सुसंगत
संस्वीकृति को गुप्त रखने के वचन आदि के कारण विसंगत न हो जाना
30- साबित
संस्वीकृति को, जो उसे करने वाले व्यक्ति तथा एक ही अपराध के लिए संयुक्त रूप से विचारित अन्य
को प्रभावित करती है विचार में लेना
31- स्वीकृतियां
निश्चायक सबूत नहीं हैं किन्तु विबन्ध कर सकती हैं
32- वे दशाएं जिनमें
उस व्यक्ति व्दारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है, जो मर गया है या
मिल नही सकता, इत्यादि
33- किसी साक्ष्य मे
कथित तथ्यों की सत्यता को पश्चात्-वर्ती कार्यवाही में साबित करने के लिये उस
साक्ष्य की सुसंगति
34- लेखा पुस्तकों
की प्रविष्टियाँ, जिनमें वे शामिल हैं, जिन्हें इलेक्ट्रानिक रूप में रखा गया है, कब सुसंगत हैं
35- कर्त्तव्य पालन
में की गई लोक [अभिलेख या इलेक्ट्रानिक अभिलेख] की प्रविष्टियों की सुसंगति
36- मानचित्रों, चार्टों और
रेखांकों के कथनों की सुसंगति
37- किन्हीं
अधिनियमों या अधिसूचनाओं में अन्तर्विष्ट लोक प्रकृति के तथ्य के बारे में कथन की
सुसंगति
38- विधि की
पुस्तकों में अन्तर्विष्ट किसी विधि के कथनों की सुसंगति
39- जबकि कथन किसी
बातचीत, दस्तावेज, इलेक्ट्रानिक अभिलेख, पुस्तक अथवा पत्रों या कागज-पत्रों की आवली का भाग हो, तब क्या साक्ष्य
दिया जाये
40- द्वितीय वाद या
विचारण के वारणार्थ पूर्व निर्णय सुसंगत हैं
41- प्रोबेट इत्यादि
विषयक अधिकारिता के किन्हीं निर्णयों की सुसंगति
42- धारा 41 में वर्णित से
भिन्न निर्णयों, आदेशों या डिक्रियों की सुसंगति और प्रभाव
43- धाराओं 40, 41 और 42 मे वर्णित से
भिन्न निर्णय आदि कब सुसंगत है
44- निर्णय
अभिप्राप्त करने में कपट या दुस्संधि अथवा न्यायालय की अक्षमता साबित की जा सकेगी
45- विशेषज्ञों की
रायें
45A- इलेक्ट्रॉनिक
साक्ष्य में परीक्षक की राय
46- विशेषज्ञों की
रायों से सम्बन्धित तथ्य
47- हस्तलेख के बारे
में राय कब सुसंगत है
47A- इलेक्ट्रानिक
हस्ताक्षर के बारे में राय कहाँ सुसंगत है
48- अधिकार या रूढ़ि
के अस्तित्व के बारे में रायें कब सुसंगत हैं
49- प्रथाओं, सिद्धान्तों आदि
के बारे में रायें कब सुसंगत हैं
50- नातेदारी के
बारे में राय कब सुसंगत है
51- राय के आधार कब
सुसंगत हैं
52- सिविल मामलों
में अध्यारोपित आचरण साबित करने के लिए शील विसंगत है
53- दाण्डिक मामलों
में पूर्वतन अच्छा शील सुसंगत है
53A- शील या पूर्व
लैगिंक अनुभव का साक्ष्य कतिपय मामलों में सुसंगत नहीं
54- उत्तर में होने
के सिवाय पूर्वतन बुरा शील सुसंगत नहीं है
55- नुकसानी पर
प्रभाव डालने वाला शील
अध्याय-3
56- न्यायिक रूप से
अवेक्षणीय तथ्य साबित करना आवश्यक नहीं है
57- वे तथ्य, जिनकी न्यायिक
अवेक्षा न्यायालय को करनी होगी
58- स्वीकृत तथ्यों
को साबित करना आवश्यक नहीं है
अध्याय-4
59- मौखिक साक्ष्य
द्वारा तथ्यों का साबित किया जाना
60- मौखिक साक्ष्य
प्रत्यक्ष होना चाहिए
अध्याय-5
61- दस्तावेजों की
अन्तर्वस्तु का सबूत
62- प्राथमिक
साक्ष्य
63- द्वितीयिक
साक्ष्य
64- दस्तावेजों का
प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित किया जाना
65- अवस्थाएं जिनमें
दस्तावेजों के सम्बन्ध मे व्दितीयिक साक्ष्य दिया जा सकेगा
65A- इलेक्ट्रानिक
अभिलेख से सम्बन्धित साक्ष्य के बारे मे विशेष प्रावधान
65B- इलेक्ट्रानिक
अभिलेखों की ग्राह्ता
66- पेश करने की
सूचना के बारे में नियम
67- जिस व्यक्ति के
बारे में अभिकथित है कि उसने पेश की गई दस्तावेज को हस्ताक्षरित किया था या लिखा
था उस व्यक्ति के हस्ताक्षर या हस्तलेख का साबित किया जाना
67A- इलेक्ट्रानिक
हस्ताक्षर के बारे मे सबूत
68- ऐसी दस्तावेज के
निष्पादन का साबित किया जाना जिसका अनुप्रमाणित होना विधि द्वारा अपेक्षित है
69- जब किसी भी
अनुप्रमाणक साक्षी का पता न चले, तब सबूत
70- अनुप्रमाणित
दस्तावेज के पक्षकार द्वारा निष्पादन की स्वीकृति
71- मौखिक साक्ष्य
द्वारा तथ्यों का साबित किया जाना
72- उस दस्तावेज का
साबित किया जाना जिसका अनुप्रमाणित होना विधि द्वारा अपेक्षित नहीं है
73- हस्ताक्षर, लेख, या मुद्रा की
तुलना अन्यों से जो स्वीकृत या साबित हैं
73A- अंकीय हस्ताक्षर
के सत्यापन के बारे में सबूत
74- लोक दस्तावेजें
75- प्राइवेट
दस्तावेज
76- लोक दस्तावेजों
की प्रमाणित प्रतियाँ
77- प्रमाणित
प्रतियों के पेश करने द्वारा दस्तावेजों का सबूत
78- अन्य शासकीय
दस्तावेजों का सबूत
79- प्रमाणित
प्रतियों के असली होने के बारे में उपधारणा
80- साक्ष्य के
अभिलेख के तौर पर पेश की गई दस्तावेजों के बारे में उपधारणा
81- राजपत्रों, समाचार-पत्रों, पार्लमेंट के
प्राइवेट ऐक्टों और अन्य दस्तावेजों के बारे में उपधारणाएं
81A- इलेक्ट्रानिक
रूप में राजपत्रों के बारे में उपधारणा
82- मुद्रा या
हस्ताक्षर के सबूत के बिना इंग्लैण्ड में ग्राह्य दस्तावेज के बारे में उपधारणा
83- सरकार के
प्राधिकार द्वारा बनाए गए मानचित्रों या रेखांकों के बारे में उपधारणा
84- विधियों के
संग्रह और विनिश्चयों की रिपोर्टों के बारे में उपधारणा
85- मुख्तारनामों के
बारे में उपधारणा
85A- इलेक्ट्रानिक
करार के बारे में उपधारणा
85B- इलेक्ट्रानिक
अभिलेखों और इलेक्ट्रानिक हस्ताक्षर के बारे में उपधारणा
85C- इलेक्ट्रानिक
हस्ताक्षर प्रमाणपत्र के बारे में उपधारणा
86- विदेशी न्यायिक
अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों के बारे में उपधारणा
87- पुस्तकों, मानचित्रों और
चार्टों के बारे में उपधारणा
88- तार सन्देशों के
बारे में उपधारणा
88A- इलेक्ट्रानिक
सन्देश के बारे में उपधारणा
89- पेश न की गई
दस्तावेजों के सम्यक् निष्पादन आदि के बारे में उपधारणा
90- तीस वर्ष पुरानी
दस्तावेज के बारे में उपधारणा
90A- पाँच वर्षीय
पुराने इलेक्ट्रानिक अभिलेख के बारे में उपधारणा
अध्याय-6
91- दस्तावेजों के
रूप में लेखबद्ध संविदाओं, अनुदानों तथा सम्पत्ति के अन्य व्ययनों के निबन्धनों का साक्ष्य
92- मौखिक करार के
साक्ष्य का अपवर्जन
93- संदिग्धार्थ
दस्तावेज को स्पष्ट करने या उसका संशोधन करने के साक्ष्य का अपवर्जन
94- विद्यमान तथ्यों
को दस्तावेज के लागू होने के विरुद्ध साक्ष्य का अपवर्जन
95- विद्यमान तथ्यों
के संदर्भ में अर्थहीन दस्तावेज के बारे में साक्ष्य
96- उस भाषा के लागू
होने के बारे में साक्ष्य जो कई व्यक्तियों में से केवल एक को लागू हो सकती है
97- तथ्यों के दो
संवर्गों में से, जिनमें से किसी एक को भी वह भाषा पूरी की पूरी ठीक-ठीक लागू नहीं होती, उसमें से एक को
भाषा के लागू होने के बारे में साक्ष्य
98- न पढ़ी जा सकने
वाली लिपि आदि के अर्थ के बारे में साक्ष्य
99- दस्तावेज के
निबन्धनों में फेरफार करने वाले करार का साक्ष्य कौन दे सकेगा
100- भारतीय उत्तराधिकार
अधिनियम के विल सम्बन्धी उपबन्धों की व्यावृत्ति
अध्याय-7
101- सबूत का भार
102- सबूत का भार किस
पर होता है
103- विशिष्ट तथ्य के
बारे में सबूत का भार
104- साक्ष्य को
ग्राह्य बनाने के लिए जो तथ्य साबित किया जाना हो, उसे साबित करने
का भार
105- यह साबित करने
का भार कि अभियुक्त का मामला अपवादों के अन्तर्गत आता है
106- विशेषतः ज्ञात
तथ्य को साबित करने का भार
107- उस व्यक्ति की
मृत्यु साबित करने का भार जिसका तीस वर्ष के भीतर जीवित होना ज्ञात है
108- यह साबित करने
का भार कि वह व्यक्ति, जिसके बारे में सात वर्ष से कुछ सुना नहीं गया है, जीवित है
109- भागीदारों, भू-स्वामी और
अभिधारी, मालिक और अभिकर्ता के मामलों में सबूत का भार
110- स्वामित्व के
बारे में सबूत का भार
111- उन संव्यवहारों
में सद्भाव का साबित किया जाना जिनमें एक पक्षकार का सम्बन्ध सक्रिय विश्वास का है
111A- कुछ अपराधों के
बारे मे उपधारणा
112- विवाहित स्थिति
के दौरान में जन्म होना धर्मजत्व का निश्चायक सबूत है
113- राज्यक्षेत्र के
अध्यर्पण का सबूत
113A- किसी विवाहित
स्त्री द्वारा आत्महत्या के दुष्प्रेरण के बारे में उपधारणा
113B- दहेज मृत्यु के
बारे में उपधारणा
114- न्यायालय
किन्हीं तथ्यों का अस्तित्व उपधारित कर सकेगा
114A- लैंगिक हमला के
लिये कतिपय अभियोजन में सम्मति न होने की उपधारणा
114B- भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 354, धारा 354क, धारा 354ख, धारा 354ग,
धारा 354घ, धारा 509, धारा 509क या धारा 509ख के अधीन कारित अपराधों के संबंध में उपधारणा
अध्याय-8
115- विबन्ध
116- अभिधारी का और
कब्जाधारी व्यक्ति के अनुज्ञप्तिधारी का विबन्ध
117- विनिमय-पत्र के
प्रतिगृहीता का, उपनिहिती का या अनुज्ञप्तिधारी का विबन्ध
अध्याय-9
118- कौन साक्ष्य दे
सकेगा
119- साक्षी, जो मौखिक रूप से
संसूचना देने में असमर्थ है
120- सिविल वाद के
पक्षकार और उनकी पत्नियाँ या पति। दांडिक विचारण के अधीन व्यक्ति का पति या पत्नी
121- न्यायाधीश और
मजिस्ट्रेट
122- विवाहित स्थिति
के दौरान में की गई संसूचनाएँ
123- राज्य का
कार्यकलापों के बारे में साक्ष्य
124- शासकीय
संसूचनाएँ
125- अपराधों के करने
के बारे में जानकारी
126- वृत्तिक
संसूचनाएँ
127- धारा 126 दुभाषियों आदि
को लागू होगी
128- साक्ष्य देने के
लिए स्वयंमेव उद्यत होने से विशेषाधिकार अभित्यक्त नहीं हो जाता
129- विधि सलाहकारों
से गोपनीय संसूचनाएँ
130- जो साक्षी
पक्षकार नहीं है, उसके हक-विलेखों का पेश किया जाना
131- उन दस्तावेजों
या इलेक्ट्रानिक अभिलेखों का पेश किया जाना, जिन्हें कोई
दूसरा व्यक्ति, जिसका उन पर कब्जा है, पेश करने से इंकार कर सकता था
132- इस आधार पर कि
उत्तर उसे अपराध में फँसाएगा, साक्षी उत्तर देने से क्षम्य न होगा
133- सहअपराधी
134- साक्षियों की
संख्या
अध्याय- 10
135- साक्षियों के
पेशकरण और उनकी परीक्षा का क्रम
136- न्यायाधीश
साक्ष्य की गाह्यता के बारे में निश्चय करेगा
137- मुख्य परीक्षा
138- परीक्षाओं का
क्रम
139- किसी दस्तावेज
को पेश करने के लिए समनित व्यक्ति की प्रतिपरीक्षा
140- शील का साक्ष्य
देने वाले साक्षी
141- सूचक प्रश्न
142- उन्हें कब नहीं
पूछना चाहिए
143- उन्हें कब पूछा
जा सकेगा
144- लेखबद्ध विषयों
के बारे में साक्ष्य
145- पूर्वतन लेखबद्ध
कथनों के बारे में प्रतिपरीक्षा
146- प्रतिपरीक्षा
में विधिपूर्ण प्रश्न
147- साक्षी को उत्तर
देने के लिए कब विवश किया जाए
148- न्यायालय
विनिश्चित करेगा कि कब प्रश्न पूछा जायेगा और साक्षी को उत्तर देने के लिये कब
विवश किया जायेगा
149- युक्तियुक्त
आधारों के बिना प्रश्न न पूछा जायेगा
150- युक्तियुक्त
आधारों के बिना प्रश्न पूछे जाने की अवस्था में न्यायालय की प्रक्रिया
151- अशिष्ट और कलंकात्मक
प्रश्न
152- अपमानित या
क्षुब्ध करने के लिए आशयित प्रश्न
153- सत्यवादिता
परखने के प्रश्नों के उत्तरों का खण्डन करने के लिए साक्ष्य का अपवर्जन
154- पक्षकार द्वारा
अपने ही साक्षी से प्रश्न
155- साक्षी की
विश्वसनीयता पर अधिक्षेप
156- सुसंगत तथ्य के
साक्ष्य की सम्पुष्टि करने की प्रवृत्ति रखने वाले प्रश्न ग्राह्य होंगे
157- उसी तथ्य के
बारे में पश्चात्वर्ती अभिसाक्ष्य की सम्पुष्टि करने के लिए साक्षी के पूर्वतन कथन
साबित किए जा सकेंगे
158- साबित कथन के
बारे में, जो कथन धारा 32 या 33 के अधीन सुसंगत है, कौन-सी बातें
साबित की जा सकेंगी
159- स्मृति ताजी
करना एवं साक्षी स्मृति ताजी करने के लिए दस्तावेज की प्रतिलिपि का उपयोग कब कर
सकेगा
160- धारा 159 में वर्णित
दस्तावेज में कथित तथ्यों के लिए परिसाक्ष्य
161- स्मृति ताजी
करने के लिए प्रयुक्त लेख के बारे में प्रतिपक्षी का अधिकार
162- दस्तावेजों का
पेश किया जाना
163- मंगाई गई और
सूचना पर पेश की गई दस्तावेज का साक्ष्य के रूप में दिया जाना
164- सूचना पाने पर
जिस दस्तावेज के पेश करने से इंकार कर दिया गया है उसको साक्ष्य के रूप में उपयोग
में लाना
165- प्रश्न करने या
पेश करने का आदेश देने की न्यायाधीश की शक्ति
166- जूरी या असेसरों
की प्रश्न करने की शक्ति
अध्याय-11
167- साक्ष्य के
अनुचित ग्रहण या अग्रहण के लिए नवीन विचारण नहीं होगा